म्यूचुअल फंड में निवेश करने से बेहतर विकल्प परपेचुअल बॉन्ड है। इन्हें जारी करने वाली कंपनी के पास इस बॉन्ड को निर्धारित अवधि के बाद बायबैक करने का विकल्प रहता है। इस विकल्प का इस्तेमाल ज्यादातर बॉन्ड इश्यू करने की तारीख के पांच साल बाद किया जाता है। अपनी लंबी अवधि की पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए इन बॉन्डों को ज्यादातर बड़ी कंपनियां या बैंक जारी करते हैं। जब भी कोई बैंक या कंपनी परपेचुअल बॉन्ड निकालती है, तो उसमे निवेश करने के लिए एक समय की सीमा होती है। परपेचुअल बॉन्ड में लॉक इन नहीं होता है, जब चाहें पैसे निकाल सकते हैं। परपेचुअल बॉन्ड में ब्याज मिलता ही है, इस से शेयर बाज़ार का कोई लेना देना नहीं होता है। कुछ अच्छी रेटिंग वाली संस्थांएँ जो परपेचुअल बॉन्ड उपलब्ध कराती हैं :
निवेशकों के लिए राष्ट्रीयकृत बैंकों के स्थायी बॉन्ड खरीदने से बेहतर परपेचुअल बॉन्ड होंगे। एनपीए की समस्याओं के बावजूद इन बैंकों ने अतीत में अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान किया है। आईडीबीआई बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, देना बैंक, यूको बैंक, कॉरपोरेशन बैंक और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया सहित लगभग छह सरकारी बैंकों ने 13,000 करोड़ रुपये वापस खरीद लिए हैं। ध्यान रखें परपेचुअल बॉन्ड हमेशा अच्छी रेटिंग वाली संस्थान के खरीदना बेहतर रहेगा।