विजय माल्या की असफलता की कहानी

एक वक्त था जब बॉलीवुड, खेल जगत, कॉर्पोरेट लॉबी तक में विजय माल्या छाया रहता था।  वक्त पलटा और किंग ऑफ गुड टाइम्स बन गया  किंग ऑफ बैड टाइम्स। एक व्यापारिक परिवार से आने की वजह से माल्या को व्यापार की जानकारी शुरू से ही थी।  विजय माल्या को शराब का व्यवसाय अपने पिता पिता विट्ठल माल्या से विरासत में मिला था। सन 1983 में सिर्फ 28 वर्ष की अवस्था में विजय माल्या को यूनाइटेड ब्रेवेरिएस ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया।  इस दौरान ये ग्रुप एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के तौर पर अपनी पहचान बना चुका था, जिसमे तात्कालिक समय में कुल 60 कम्पनियां काम कर रही थीं।
 
अपने बड़े व्यापार की वजह से विजय माल्या ने कॉर्पोरेट दुनिया में अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त किये जो इस प्रकार हैं -

 - उन्हें ‘साउथर्न कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय’ की तरफ़ से वाणिज्य शासन प्रबंध में सन 1997 में मानद उपाधि दी गयी.
 - इसके अतिरिक्त उन्हें फ्रांस से “ऑफिसर डे ला डी’ होंनयूर” पुरस्कार,
 - वर्ल्ड इकॉनमी फोरम की तरफ से ‘ग्लोबल लीडर ऑफ़ टुमारो’,
 - द एशियन अवार्ड 2010 में ‘इंटरप्रेनर ऑफ़ द इयर’ तथा फेडरेशन ऑफ़ मोटरस्पोर्ट स्पोर्ट्स क्लब ऑफ़ इंडिया की तरफ़ से मोटरस्पोर्ट्स में योगदान के लिए ‘लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ भी प्राप्त हुआ.


सन 2005 में विजय माल्या ने किंगफ़िशर एयर लाइन्स की स्थापना की।  उनका किंगफिशर एयरलाइंस को एक बड़ा ब्रैंड बनाने का सपना था। इसीलिए माल्या ने सन 2007 में देश की पहली लो कॉस्ट एविएशन कंपनी एयर डेक्कन का टेकओवर किया था। इसके लिए उन्होंने 30 करोड़ डॉलर यानी 1,200 करोड़ रुपए (2007 में 1 डॉलर लगभग 40 रुपए के बराबर था) की भारी रकम खर्च की थी। इस सौदे से माल्या को तत्‍काल फायदा तो हुआ और 2011 में किंगफिशर देश की दूसरी बड़ी एविएशन कंपनी भी बन गई, किन्तु बहुत जल्द इसे घाटे में जाना पड़ा।

माल्या ने एयर डेक्कन के साथ गोद लिए हुए बेटे की तरह व्यवहार किया। विलय के बाद माल्या को उम्मीद थी कि एयर डेक्कन के कस्टमर किंगफिशर की ओर रुख करेंगे, लेकिन इसका उल्‍टा होने लगा। आखिर में एयर डेक्कन (किंगफिशर रेड) के कस्टमर दूसरी लो कॉस्ट एयरलाइंस की ओर रुख करने लगे। साथ ही बढ़ती फ्यूल कॉस्ट ने ऑपरेशन लागत और माल्या की परेशानी दोनों बढ़ा दी। इससे कंपनी को बड़ा घाटा उठाना पड़ा। सन 2013 के मार्च के महीने में इस कंपनी को 2142 करोड़ रूपए के घाटे में देखा गया, जिसके पहले ये कम्पनी 1150 करोड़ का घाटा सह चुकी थी। २०१३ मे किन्गफिशर का पिछले घाटों के साथ कुल घाटा 16023 करोड़ रूपए का था। इस आंकड़े में 15000 से 16000 करोड़ रूपए बैंक, एअरपोर्ट समेत अन्य कई जगहों पर भरा जाना था। 

माल्या ने यूबी ग्रुप में कई बार शुरूआती फंडिंग के लिए पुनः प्रवर्तन योजना दायर की, किन्तु पिछले आठ सालों में एयर लाइन्स द्वारा एक बार भी लाभ न कमाने की वजह से फंडिंग निवेदन रद्द कर दिया गया। 2012 में किंगफिशर एयरलाइंस का स्टाफ सैलरी नहीं मिलने के विरोध में हड़ताल पर चले गए। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने किंगफि‍‍िशर एयरलाइंस (केएफए) के अकाउंट्स सीज कर लिए और केएफए का परिचालन बंद हो गया। अक्टूबर में सरकार ने केएफए का लाइसेंस रद्द कर दिया। वहीं माल्‍या ने कर्ज का बोझ कम करने के लिए अपनी शराब कंपनी यूनाइटेड स्प्रिट्स में हिस्‍सेदारी बेचने की पेशकश की। ब्रिटिश कंपनी डायाजियो हिस्‍सा खरीदने के लिए राजी हो गई। 2013 में डायाजियो ने 6,500 करोड़ रुपए में यूएसएल की 27 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली। लेकिन, केएफए को कर्ज देने वालों को पैसे वापस नहीं दिए गए।

सन 2014 में यूनाइटेड बैंक ने यूनाइटेड ब्रूअरीज होल्डिंग्स को जानबूझकर कर्जा नहीं चुकाने वाला घोषित कर दिया। 2015 में डायाजियो ने माल्या को कहा कि वह यूनाइटेड स्प्रिट्स के चेयरमैन का पद छोड़ दें, लेकिन माल्या ने इनकार कर दिया। फिर 2016 में डायाजियो के साथ समझौते के तहत विजय माल्या ने चेयरमैन का पद छोड़ा और बदले में उन्हें 515 करोड़ रुपए मिले। लेकिन, बैंकों के आग्रह पर डेट रिकवरी ट्रिब्‍यूनल ने पैसे निकालने पर रोक लगा दी।


विजय माल्या ने लिया बैंको में ऋण 

अपनी आलिशान ज़िन्दगी को बनाए रखने तथा अपने एयरलाइन्स कम्पनी को वजूद में रखने के लिए माल्या ने कई सरकार द्वारा नियंत्रित बैंको से ऋण लेना शुरू किया।  नीचे कुछ बैंको के आंकड़े दिए जा रहे हैं, जो विजय माल्या की कंपनी किंगफिशर के नाम पर ऋण के तौर पर दिए गये.

स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया -1600 करोड़
आईडीबीआई बैंक – 800 करोड़
पंजाब नेशनल बैंक – 800 करोड़
बैंक ऑफ़ इंडिया – 650 करोड़
बैंक ऑफ़ बरोदा – 550 करोड़
यूनाइटेड बैंक ऑफ़ इंडिया – 430 करोड़
सेंट्रल बैंक – 410 करोड़
यूको बैंक – 320 करोड़
कारपोरेशन बैंक – 310 करोड़
स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर – 150 करोड़
इंडियन ओवरसीज बैंक – 140 करोड़
फ़ेडरल बैंक -90 करोड़
पंजाब और सिंध बैंक – 60 करोड़
इसी तरह कई अन्य बैंकों से भी ऋण लिए गये थे।  क्योंकि किंगफ़िशर के पास बैंक को देने के लिए कुछ नहीं बचा है अतः बैंकों को उनके ऋण की भरपाई करने में खूब मुश्किल हो रही थी, अतः एक ही रास्ता बचता है कि विजय माल्या अपनी निजी संपत्ति से ये ऋण चुकाएं।  



विजय माल्या की गिरफ्तारी

लन्दन में रह रहे विजय माल्या को स्कॉटलैंड यार्ड ने भारत ऑथोरिटी की तरफ से धोखा धडी के मामले में गिरफ्तार किया। इस केस में उन्हें लन्दन के वेस्टमिस्टर कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ उन्हें तीन घंटे के अन्दर ही जमानत मिल गयी। भारत सरकार ने विजय माल्या को पहले से ही देश से भगौड़ा घोषित कर रखा है। विजय माल्या की गिरफ्तारी भारत के ‘सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन एंड एन्फोर्समेंट’ की तरफ से किया गया आग्रह पर की गयी थी। 



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